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Jind Central Jaycees Education and Charitable Trust, Jind.
D.Ed. SPl. EDU. (IDD) 2 years
Direct Admission (2025-27)
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ANKUR - An Institute for Divyang Persons
एक विचार बना बीज रूप में, बीज ने धरती के सीने को फाड़ा और अंकुरित हो बाहर आया इस संसार में और चल पड़ा अनंत ऊँचाईयों की ओर..... जी हां! यह कहानी है एक ऐसे शिक्षण संस्थान की जो कुछ समय पहले ही जीएक विचार बना बीज रूप में, बीज ने धरती के सीने को फाड़ा और अंकुरित हो बाहर आया इस संसार में और चल पड़ा अनंत ऊँचाईयों की ओर..... जी हां! यह कहानी है एक ऐसे शिक्षण संस्थान की जो कुछ समय पहले ही जीन्द शहर में शुरू हुआ और तेजी से प्रगति की और अग्रसर है। याद आता है आज भी वो दिन जब शहर की अग्रणी सामाजिक संस्था जीन्द सैन्ट्रल जेसीज के कुछ सदस्यों ने मिलकर विचार किया कि क्यों न एक ऐसा संस्थान शुरू किया जाये जिसमें समाज के उन बच्चों को शिक्षा मिले जिन्हें समाज मानसिक रूप से विकलांग होने के कारण हिकारत की नजरों से देखता हैं। एक ऐसा वर्ग जिसके पास सपने तो है परन्तु उनको सच करने की शक्ति नहीं, जिनके पास उड़ान भरने का जज्बा तो है परन्तु पंख नहीं, जिनके कारण खुद घर के लोग भी परेशान हैं क्यो न उनको अपना लिया जाएं, उन्हें अपने पांवो पर खड़े होने का सामथ्र्य दिया जाये। याद आ रही हैं वो दो पंक्तियां....
मैं तो अकेला ही चला था मंजिलें जानिब तलक, लोग जुड़ते रहे कारवां बनता गया। इसको मूर्त रूप देने के लिए जीन्द सैन्ट्रल जेसीज एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया गया। इस ट्रस्ट में उन लोगों को शामिल किया गया जिनका विश्वास है कि मानवता की सेवा ही जीवन का सर्वोत्तम कार्य है। सभी सदस्यों के निवेदन को स्वीकार करते हुए जेसी के.सी. गुप्ता जी ने इस ट्रस्ट को अपना नेतृत्व प्रदान करने की सहमति दी।
संस्था के पास न तो अपनी जमीन थी ओर न ही कोई साधन थे परन्तु एक बात पर विश्वास था -
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके कदमों में जान होती है।
पंखांे से कुछ नहीं होता मेरे भाई, होंसलों से उड़ान होती है।।
इसी होंसले के साथ 15 अप्रैल 2007 को एक विशाल पोलियो कैम्प का आयोजन किया गया। जिससें हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा की धर्मपत्नी श्रीमति आशा
हुडडा ने मुख्यातिथि बनकर और अपनी हर संभव सहायता का आश्वासन देकर हमारे होंसलों को नई उड़ान दे दी। 15 मई 2007 के शुभ दिन संस्था ने श्री माता मनसा देवी के प्रागंण में हवन यज्ञ करके इस शिक्षण संस्थान का श्री गणेश कर दिया और वह बीज अंकुरित हुआ ‘अंकुर मानसिक बाल विकलांग शिक्षण संस्थान’ के रूप में। आप सभी के सहयोग एवं आशीर्वाद से संस्था ने 40 बच्चों के लिए जरूरी विशेष प्रशिक्षक, फिजियोथरेपिस्ट और अन्य समान की व्यवस्था की और कारवां चल पड़ा। संस्थान के प्रयास रंग लाये और संस्थान को हरियाणा सरकार की ओर से रियायती दरों पर 2030 वर्ग मीटर भूमि हुडडा के सैक्टर नं0 11 में प्रदान की गई। उस समय जीन्द के उपायुक्त श्री युद्धवीर सिंह, आई.ए.एसने संस्था के कार्यों को देखा और सदस्यों के निवेदन को स्वीकार कर इस ट्रस्ट के संरक्षक बन।े फिर वो दिन आया जब हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा स्वयं मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए और 1 नवम्बर 2008 को इस संस्थान के भवन का शिलान्यास किया। संस्था के कार्यों से श्री हुडडा इतने प्रभावित हुए कि वहीं पर उन्होंने साथ लगती 2030 वर्ग मीटर भूमि संस्था को देने की घोषणा कर दी और अपने एैच्छिक कोष से 11 लाख रूपये प्रदान किये।, कार्यक्रम में उपस्थित श्री मांगे राम गुप्ता ने भी 11 लाख रूपये प्रदान किये और अपनी हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। बिजली मंत्री श्री रणदीप सुरजेवाला ने भी 11 लाख रूपये सहायता के रूप में दिये। इसके पश्चात समय-समय पर हरियाणा सरकार के मंत्रियों द्वारा हमें सहयोग राशि प्रदान की गई इस कड़ी में राज्य सभा सासंद श्री बिरेन्द्र सिंह ने 5 लाख रूपये, संासद सोनीपत श्री जितेन्द्र मलिक ने 11 लाख रूपये, मुख्य संसदीय सचिव श्री राव दान सिंह द्वारा 5 लाख रूपये संस्था को प्रदान किये। लक्ष्य स्पष्ट था और संस्था उसकी ओर तेजी से अग्रसर थी। इसलिए वो शुभ घंडी भी आई जब 7 जून 2009 को इस भूमि पर श्री युद्धवीर सिंह जी द्वारा भूमिपूजन का समारोह सम्पन्न हुआ और भवन का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। आज विद्यालय के इस दो मंजिले भवन का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। जिसमें 28 कमरें और 2 बड़े हाल हैं। बच्चों को लाने और ले जाने हेतू रैडक्रास जीन्द के सहयोग से संस्थान के पास अपनी बस भी कार्य कर रही है। संस्था की योजना है कि मानसिक रूप से विकलांग इन बच्चों के लिए एक छात्रावास बनाया जाये ताकि इन्हें हर रोज आने-जाने की समस्या से दो-चार न होना पड़ें। वोकेशनल ट्रेनिंग शुरू करके संस्था चाहती है कि यह बच्चे बड़े होकर अपने पाँवों पर खड़े हों सके और किसी के आश्रित ना रहें। संस्थान का सपना है कि ये अंकुर एक ऐसा वट वृक्ष बने जो जीन्द शहर ही नहीं अपितु पूरे
भारतवर्ष के लिए एक प्ररेणा का स्त्रोत बने। किसी कवि ने कहा है ......
गमों की आंख से आंसु निकाल कर देखो, बनेंगे रंग किसी पर डाल कर देखो,
तुम्हारे हृदय की चुभन कम होगी जरूर, किसी के पांव का कांटा निकाल कर देखों।
(के.सी. गुप्ता)
अध्यक्ष
जीन्द सैन्ट्रल जेसीज एजुकेशनल एवम् चैरिटेबल ट्रस्ट